नए सत्र के साथ बदल जाएगा आयुर्वेद शिक्षा का सिलेबस, जाने क्या नया होगा
आयुुर्वेद में प्रैक्टिकल-एक्सपीरियंस लर्निंग पर फोकस, थ्योरी की1 तो प्रैक्टिकल की क्लास होगी 2, ऑडियो-वीडियो से सीखेंगे छात्र
रायपुर । आयुुर्वेद की पढ़ाई करने वाले यूजी और पीजी के छात्रों को नए सत्र के साथ पाठ्यक्रम में नए बदलाव मिलेगा। स्नातक के पाठ्यक्रम में जहां दो थ्योरी क्लास और एक प्रैक्टिकल की क्लास होती थी जिसे बदल दिया गया है। अब एक थ्योरी की क्लास होगी तो दो प्रैक्टिकल क्लास होंगे। वहीं पहली बार नया कॉन्सेप्ट नॉन लेक्चर ऑवर्स शुरू किया जा रहा है जिसमें छात्र-छात्राओं की लेक्चर क्लास नहीं लगेगी बल्कि उनसे अलग-अलग लर्निंग बेस्ड प्रोग्राम कराए जाएंगे। वहीं इस साल पीजी की क्लासेस भी 6 सेमेस्टर में बंट जाएगी। वहीं क्लास में शुरू से ही छात्रों को क्लिनिकल एक्सपोजर मिलेगा। जिसमें उन्हें मरीजों को समझने का मौका मिलेगा।
राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग, नई दिल्ली आयुर्वेद में योग्यता आधारित चिकित्सा शिक्षा (सीबीएमई) और परिणाम आधारित चिकित्सा शिक्षा (ओबीएमई) लाने पर काम कर रहा है। आयोग ने 2030 को लक्ष्य बनाकर और एनईपी 2020 के साथ पाठ्यक्रम तैयार कर रहा है। स्नातक आयुर्वेद शिक्षा के न्यूनतम मानक विनियम-2021 के अंतर्गत कई पहल शुरू की गई है।
नॉन लेक्चर ऑवर्स में ये होगा छात्रों के लिए
लेक्चर ऑवर्स कक्षा में शिक्षण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सबसे आम विधि है। अब इसे ऑडियो-वीडियो के साथ पूरक बनाया गया है। अब छात्रों के लिए नया कॉन्सेप्ट नॉन लेक्चर आवर्स लाया जा रहा है। जिसमें छात्रों को क्लास में बैठकर लेक्चर सुनने के बजाय डिस्कशन एंड डिबेट, इन्क्वायरी बेस्ड लर्निंग, प्रॉब्लम बेस्ड लर्निंग, केस बेस्ड लर्निंग, प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग, टीम बेस्ड लर्निंग, फ्लिप्ड क्लासरूम, सिमुलेशन, सेल्फ डायरेक्टेड लर्निंग, प्रॉब्लम सॉल्विंग के साथ ही इसी में किनेस्थेटिक लर्निंग में पोस्टर मेकिंग, चार्ट मेकिंग, वीडियो क्लिप्स, वर्कशॉप होंगे वहीं एजुटेनमेंट में पीपीटी, डेमोंस्ट्रेशन, डिस्कशन, गेम बेस्ड लर्निंग होंगे। इसका उद्देश्य छात्रों में ज्ञान, कौशल और मूल्यों को बढ़ाना है।
यूजी में अब एक साल इंटर्नशिप, पीजी में सेमेस्टर सिस्टम होगा शुरू
बीएएमएस में पहले एक-एक साल करके तीन साल की पढ़ाई और डेढ़ साल का इंटर्नशिप होता था। जो अब बदलकर तीन व्यावसायिक वर्षों में प्रत्येक 1.5 वर्ष का और इंटर्नशिप 1 वर्ष का होगा। वहीं पीजी में पहली बार अब आयुर्वेद की क्लास सेमेस्टर वाइज हो गया है। 6 सेमेस्टर में पूरी क्लास होगी। साथ ही पीजी को तीन हिस्सों में बांट दिया गया है पहले 6 माह रिसर्च मेथेलॉजी, 6 माह प्रीे एमडी कोर्स और दो साल विषय से संबंधित पढ़ाई होंगी। वहीं पीजी में थ्योरी, प्रैक्टिकल के साथ एक्सपीरियंशियल लर्निंग को जोड़ा गया है। अब छात्र जो प्रैक्टिकल में सीखेंगे उसे ही बताएंगे।
पीजी में शुरू से ही क्लिनिकल एक्सपोजर
राष्ट्रीय आयोग के नए पाठ्यक्रम का उद्देश्य कि प्रशिक्षण पूरा होने पर आयुर्वेद स्नातक के पास एक नहीं, कई योग्यताएं हो। पीजी की क्लास में ट्रांज़िशनल करिकुलम, इलेक्टिव्स, इंटीग्रेटेड लर्निंग, अर्ली क्लिनिकल एक्सपोजर, प्रॉब्लम बेस्ड लर्निंग शामिल किया गया है। इसमें छात्रों को भाषा सीखने, कंप्यूटर का उपयोग, तनाव से निपटने और समय का प्रबंधन करने के साथ व्यावसायिकता की समीक्षा और समुदाय में कार्य करने का सही तरीका सिखाना है।प्रारंभिक नैदानिक संपर्क के जरिए छात्रों को पहले वर्ष की शुरुआत से ही अस्पताल की सेटिंग और रोगी के बारे में समझ देना है। यह भविष्य में एक चिकित्सक के रूप में उपयोगी हो सकता है।
पाठ्यक्रम में नहीं होगा दोहराव
नए पाठ्यक्रम में छात्रों को नियमित पाठ्यक्रम के अलावा वैकल्पिक विषय चुनने का अवसर मिलेगा, जो अनुसंधान और विशेष प्रशिक्षण पर जोर देता है। इससे छात्रों के लिए कई करियर विकल्प खुलेंगे। नए पाठ्यक्रम में शिक्षण और सीखने का एकीकरण भी महत्वपूर्ण है, जो अकादमिक बाधाओं को तोड़ता है। छात्रों को विषयों के संबंधित विषयों से अवगत कराकर विषयों के अधिक घटकों को अस्थायी रूप से स्क्रिनाइज किया जाएगा। इससे पाठ्यक्रम को पढ़ाना आसान होगा क्योंकि इसमें दोहराव नहीं होगा।