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औषधियों से तैयार हुआ धूप, हवा, सरफेस के संक्रमण को करता है खत्म

अस्पताल के ओटी, ओपीडी में सफल प्रयोग, रासायनिक फ्यूमिगेशन से बेहतर रहा रिजल्ट, आयूष मिनिस्ट्री से मिल चुका अवॉर्ड

रायपुर । पर्यावरण में अरबों सूक्ष्मजीव मौजूद हैं। ये सूक्ष्मजीव मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं। अस्पतालों में भी इन्हें सूक्ष्मजीवों से संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। इन्हीं समस्या को दूूर करने के लिए आयुर्वेद कॉलेज के अगद तंत्र एवं विधि आयुर्वेद विभाग के रिसर्च स्कॉलर डॉ निधि बिसेन ने 8 औषधियों को मिलाकर एक ऐसा धूप तैयार किया है। जिससे अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर, ओपीडी और आईपीडी को संक्रमणमुक्त किया जा सकता है। इसे घर में भी उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अभी अस्पतालों में फ्यूमिगेशन के लिए रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया जाता है जो व्यक्ति के सेहत के लिए अभी अच्छा नहीं होता। लेकिन हमने जो धूप तैयार किया है। उससे हवा, सरफेस जैसे सभी जगह मौजूद खतरनाक सूक्ष्मजीवों को खत्म किया जा सकता है। इसे सुश्रुत संहिता के आधार पर 8 औषधियों के उपयोग के बाद तैयार किया गया है। इसे आयूष मिनिस्ट्री की पीजी स्टार अवॉर्ड भी मिला है जिसके तहत 1 लाख की फंडिंग भी मिली है। डॉ निधि प्रोफेसर डॉ. एसआर इंचुलकर के गाइडेंस में रिसर्च कर रहे हैं।

ओटी, आईपीडी में कर चुके टेस्ट

डॉ निधि ने बताया कि धूूप को बनाने और टेस्ट करने में लगभग 1 साल का समय लगा है। इसे बनाने के लिए गुग्गुल, नीम, अगुरु, सर्जरस, वच, गौर सर्षप, सैंधव लवण, गो घी का उपयोग किया गया है। इसे बनाने के बाद केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान झांसी से ऑथेन्टिकेशन भी किया है। इसे शहर के साइंस और आयुर्वेद कॉलेज के लैब, ऑपरेशन थिएटर, ओपीडी में भी उपयोग किया गया है, जो सफल रहा। आयुर्वेद तरीके से किए गए फ्यूमिगेशन का रिजल्ट रासायनिक तरीके से किए गए फ्यूमिगेशन से काफी अच्छा रहा।

रोगाणुरोधी, लागत प्रभावी, सुरक्षित प्रक्रिया

विभाग के विभागाध्यक्ष व स्टेट ड्रग टेस्टिंग लेबोरेटरी एवं अनुसंधान केंद्र में राज्य औषधि विश्लेषक डॉ. एसआर इंचुलकर ने बताया कि आमतौर पर अस्पतालों में धूपन की प्रक्रिया फॉर्मेल्डिहाइड जैसे विषैले रासायनिक कीटाणुनाशकों की उच्च सांद्रता के साथ की जाती है। रासायनिक कीटाणुनाशकों के नुकसानों में दवा प्रतिरोध, विषाक्तता और अतिसंवेदनशीलता प्रतिक्रिया का विकास शामिल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, फॉर्मेल्डिहाइड मनुष्यों में अपने कैंसरकारी प्रभाव के लिए जाना जाता है और नासोफेरींजल कैंसर का कारण भी बनता है। साथ ही सांस से संबंधित बीमारी भी हो सकती है। इसके अलावा, फॉर्मेलिन गैस धूपन स्वास्थ्य कर्मियों के लिए कई स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा कर रहा है। रिसर्च में तैयार धूप से किया गया धूपन एक रोगाणुरोधी, लागत प्रभावी, सुरक्षित और प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसका उपयोग अस्पताल क्षेत्र में नोसोकोमियल संक्रमण को कम करने के लिए दैनिक रूप से किया जा सकता है। आयुर्वेदिक साहित्य में, आचार्य सुश्रुत ने धूपन योग का वर्णन किया है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह रोगाणुरोधी है।

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