एन.एच.गोयल वर्ल्ड स्कूल में गुणवत्ता सर्कल टाइम पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें गुणवत्ता सर्कल टाइम के महत्व और इसके उपयोग पर चर्चा की गई। इस सेमिनार में शहर के विभिन्न स्कूलों के शिक्षकों ने भाग लिया। सेमिनार का उद्देश्य शिक्षकों को गुणवत्ता सर्कल टाइम के माध्यम से अपने छात्रों के साथ बेहतर संबंध बनाने और शिक्षा में गुणवत्ता में सुधार करने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान करना था।
कार्यक्रम में प्राचार्य ने गुणवत्ता सर्कल टाइम का महत्त्व बताते हुए आगंतुक शिक्षकों से इस कार्यशाला का पूरा लाभ उठाने तथा कुछ नया सीखने हेतु अपनी शुभकामनाएँ दीं। कार्यशाला में मुख्य अतिथि व वक्ता के रूप में मॉरिशस से पधारे डब्ल्यू .सी.टी.क्यू.ई.ई.के उप सभापति एवं एम.एस.क्यू.सी.सी.मॉरिशस मधुकर नारायण एवं शिक्षाविद एवं जागरण पब्लिक स्कूल समूह के प्राचार्य डी.के.सिन्हा ने इस गुणवत्ता सर्कल टाइम जैसे चर्चित विषय पर सभी अध्यापकों को संबोधित किया।

कार्यशाला दो सत्रों में आयोजित की गई थी | प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता मधुकर नारायण ने कहा कि, “गुणवत्ता सर्कल टाइम एक प्रभावी तरीका है जिससे शिक्षक अपने छात्रों के साथ संबंध बना सकते हैं और उन्हें बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकते हैं। यह शिक्षकों को अपने छात्रों की जरूरतों को समझने और उनकी समस्याओं का समाधान करने में मदद करता है।” उन्होंने कहा कि समाज में नैतिक मूल्य का जो ह्रास हो रहा है उस समस्या से भी निपटने के लिए सर्किल टाइम बहुत कारगर साबित होगा।
द्वितीय सत्र में डी.के सिन्हा ने कहा कि “यदि आज छात्रों के अंदर व्यवहार, अनुशासन आदि की जो समस्याएँ आ रही है यदि इस पर विचार करके इसका समाधान नहीं निकाला गया तो आने वाला भविष्य किस स्थिति में होगा, नहीं कहा जा सकता। शायद हमारे नियंत्रण से बाहर भी हो सकता है। तो सभी संस्थाओं को इसके लिए क्वालिटी सर्किल टाइम निकाल कर इन समस्याओं पर चर्चा करके उपाय निकलना आवश्यक है। निश्चित ही हम इन समस्याओं से जूझ रहे है। विश्व परिषद ने इसका निदान खोज है पर हमें उस पर अमल करना होगा |’’
सेमिनार का आयोजन वर्ल्ड कौंसिल फॉर टोटल क्वालिटी एंड एक्सलेंस इन एजुकेशन (डब्लू सी टी क्यू ई ई) मॉरिशस द्वारा किया गया था जो इस विषय पर एन. एच. गोयल वर्ल्ड स्कूल के साथ संबंधित है। संगठन के प्रतिनिधि ने कहा, “हमें शिक्षकों के लिए गुणवत्ता सर्कल टाइम पर सेमिनार आयोजित करने का अवसर मिला और हमें उम्मीद है कि यह सेमिनार शिक्षकों के लिए उपयोगी साबित होगा। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम समन्वयक तथा शाला के विज्ञान-विभाग के प्रभारी श्री एम.एन.सिंग ने सभी का धन्यवाद –ज्ञापन किया
क्या है क्वालिटी सर्किल
क्वालिटी सर्किल, जिसे क्यूसी या काइज़ेन सर्किल के नाम से भी जाना जाता है, 1960 के दशक में, जापान में क्वालिटी सर्किल की अवधारणा विनिर्माण में गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार के साधन के रूप में शुरू हुई थी। 1970 के दशक तक, यह संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में फैल गई। 1990 के दशक तक, क्वालिटी सर्किल पश्चिमी देशों में एक पसंदीदा तरीका था, उसके बाद टोटल क्वालिटी मैनेजमेंट और सिक्स सिग्मा जैसी अवधारणाएँ अधिक लोकप्रिय हो गईं। 21वीं सदी में तेजी से आगे बढ़ते हुए, क्वालिटी सर्किल का उपयोग अभी भी कई कंपनियों और संगठनों द्वारा विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है।