छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ : हाई कोर्ट में प्रांतीय निर्वाचन की वैधता को चुनौती
छत्तीसगढ़ । विगत दिनों छत्तीसगढ़ शिक्षक के प्रांत का निर्वाचन महासमुंद जिले में हुआ था। जिसके लिए छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ की निर्वाचन प्रक्रिया को पंजीयक फर्म एवं संस्था के नियम और छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के संविधान के मुताबिक कराने के लिए सुधीर गौतम को निर्वाचन अधिकारी बनाया गया था।
उन्होंने वाई .के. दिल्लीवार और डॉ रविन्द्र सिंहचौहान को कार्य में सहयोग के लिए सहायक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया था।
याचिकाकर्ता हरिराम जायसवाल ने छत्तीसगढ़ शासन के पंजीयक फर्म संस्था के पंजीयक को फर्स्ट पार्टी, दूसरे क्रम में ओंकार सिंह ठाकुर तात्कालिक प्रदेश अध्यक्ष और तीसरे क्रम में सुधीर गौतम निर्वाचन अधिकारी को परिवादी बनाया है। हरि जायसवाल ने अपनी उच्च न्यायालय को प्रस्तुत याचिका में निवेदन किया है कि निर्वाचन अधिकारी सुधीर गौतम, सहायक निर्वाचन अधिकारी रविन्द्र सिंह चौहान एवं वेणु कुमार दिल्लीवार ने अपने संयुक्त हस्ताक्षर से दिनांक 14.09.24 को निर्वाचन की अधिसूचना जारी की थी। जिसके बाद 20.9.2024 को प्रारंभिक मतदाता सूची का प्रकाशन किया गया।
याचिकाकर्ता का कहना है पूर्व प्रांताध्यक्ष द्वारा शिक्षक संघ के संविधान की अवहेलना करते हुए मनमाने तरीके से अपने पद पर तीन वर्ष के कार्यकाल को पूरा करने के बाद भी बने रहे। जबकि छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के संविधान के अनुसार निर्धारित अवधि को पूर्ण करने के बाद उनको नियमानुसार निर्वाचन की प्रक्रिया संपादित करनी थी जो कि नहीं की गई।
ओंकार सिंह के द्वारा 2017 में निर्वाचित होने और तीन वर्ष के कार्यकाल पूर्ण करने बाद भी नियम विरुद्ध पद पर बने रहे। उन्होंने 7 वर्ष और 4 माह के कार्यकाल के दौरान 4 साल तक का कार्यकाल अवैधानिक ढंग से पूरा किया। जो कि उनके द्वारा छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ और पंजीयक फर्म एवं संस्था के नियमों का उल्लंघन है।याचिकर्ता ने कहा है कि इस निर्वाचन में सेवानिवृत शिक्षकों को मतदाता बनाकर वोटिंग का अधिकार दिया गया जो कि नियमों का उल्लंघन है।
अंतिम मतदाता सूची के सरल क्रमांक 26 में अशोक कुमार, सरल क्रमांक 47 में हरि शर्मा और सरल क्रमांक 89 में बाल मुकुंद रथ का नाम है जो कि सेवानिवृत हो चुके थे। इनसे वोटिंग कराई गई।
पंजीयक फर्म और निर्वाचन अधिकारी ने शिकायत और आपत्तियों पर कोई कार्यवाही नहीं की इसलिए पार्टी बने छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के निर्वाचन लिए न केवल तात्कालिक कार्यकारिणी और प्रदेश अध्यक्ष ने नियमों को दरकिनार कर पद पर बने रहे, वरन आय व्यय का प्रस्तुतीकरण भी नहीं किया। पंजीयक फर्म को सभी जानकारियां प्रस्तुत नहीं किए गए। पंजीयक फर्म ने याचिकाकर्ता और अन्य शिकायत कर्ता धन्य कुमार पाण्डेय द्वारा प्रस्तुत आवेदन दिनांक 29.11.24 के शिकायत पर भी कोई कार्यवाही नहीं की, निर्वाचन अधिकारी द्वारा भी नियमानुसार निर्वाचन प्रक्रिया का निर्वहन नहीं किए गया इसलिए उनको उच्च न्यायालय में परिवादी बनाया गया है।